क्या आपका फोन आपकी बातें सुन रहा है? हां, और अब इसका सबूत भी मिल गया है!
आप अपने दोस्त के साथ एक कॉफी शॉप में बैठे हैं और हल्की-फुल्की बातचीत में जिक्र करते हैं कि आप एक नया घड़ी खरीदने के बारे में सोच रहे हैं। कुछ समय बाद जब आप अपना फोन चेक करते हैं, तो आपको अचानक घड़ियों के विज्ञापन दिखाई देने लगते हैं। अब आप सोचने लगते हैं कि क्या आपका फोन सच में आपकी बातचीत सुन रहा है? आपको ऑनलाइन रिसर्च करने पर पता चलता है कि सभी सोशल मीडिया कंपनियां इसे सिरे से नकारती हैं, लेकिन आपका शक बना रहता है, खासकर जब ऐसा बार-बार होता है।
लेकिन अब एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ये आशंका गलत नहीं थी। एक मार्केटिंग एजेंसी, जो Meta, Microsoft, Google और Amazon जैसी बड़ी कंपनियों के साथ काम करती है, ने पुष्टि की है कि आपके फोन पर कुछ ऐप्स आपके माइक्रोफोन तक पहुंच रखते हैं और आपकी निजी बातचीत को सुनते हैं। आइए इस पूरी कहानी को 5 महत्वपूर्ण बिंदुओं में समझते हैं।
1. बड़ी टेक कंपनियां सुन सकती हैं आपकी बातें
404 मीडिया द्वारा प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञापन एजेंसी Cox Media Group “Active Listening” नामक एक सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है। यह सॉफ्टवेयर एआई तकनीक का उपयोग करके आपके फोन के आसपास होने वाली बातचीत को सुनता और विश्लेषित करता है। यह टेक्नोलॉजी वास्तविक समय में यूजर्स की बातचीत से डेटा एकत्र करती है, जिससे यह समझा जा सके कि यूजर क्या खरीदने की योजना बना रहे हैं। इसके बाद यह सॉफ़्टवेयर विज्ञापनदाताओं को यूजर के इरादों के बारे में जानकारी देता है ताकि उन्हें उनके अनुसार टार्गेट किया जा सके।
2. डेटा कैसे एकत्र किया जाता है?
Cox Media Group ने अपने निवेशकों के साथ साझा की गई एक रिपोर्ट में बताया कि यह सॉफ्टवेयर 470 से अधिक विभिन्न स्रोतों से डेटा एकत्र करता है। इसमें यूजर्स की आवाज़ के अलावा उनके ऑनलाइन व्यवहार का भी विश्लेषण किया जाता है। ये तकनीक यूजर्स की बातचीत और ऑनलाइन क्रियाओं का “डेटा ट्रेल” बनाती है, जिससे विज्ञापनदाता उपभोक्ताओं की रुचियों और इरादों का पता लगा सकते हैं। यह प्रक्रिया यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर कई सवाल खड़े करती है, क्योंकि ये डेटा ज्यादातर बिना उनकी स्पष्ट अनुमति के एकत्र किया जाता है।
3. रिपोर्ट ने कैसे उजागर किए इन तरीकों को?
Active Listening तकनीक पहले भी विवादों में रही है। 404 मीडिया ने पिछले साल से इस तकनीक पर कई बार रिपोर्ट की है। दिसंबर में Cox Media Group ने एक पेपर जारी किया था, जिसमें उन्होंने समझाया कि कैसे “Active Listening” तकनीक से कंपनियां मार्केटिंग रणनीतियों को बेहतर बना सकती हैं। यह तकनीक यूजर्स की ज़रूरतों और रुचियों के आधार पर उन्हें टार्गेट करती है और विज्ञापन प्लेटफॉर्म्स जैसे YouTube, स्ट्रीमिंग सेवाओं और सर्च इंजनों पर विज्ञापन दिखाती है। इस रिपोर्ट ने दोबारा से यही बातें उजागर की हैं।
4. बड़ी टेक कंपनियों की प्रतिक्रिया
रिपोर्ट के बाद, बड़ी टेक कंपनियों जैसे Meta और Amazon ने अपने बयान दिए। Meta ने कहा कि वे इस मामले की जांच कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि यूजर्स का डेटा बिना अनुमति के तो नहीं लिया जा रहा है। वहीं, Amazon ने इस बात से इनकार किया कि उनका Cox Media Group से कोई संबंध है और चेतावनी दी कि अगर उनके पार्टनर डेटा प्राइवेसी मानकों का उल्लंघन करते पाए गए तो वे कानूनी कार्रवाई करेंगे।
5. ऐप्स की शर्तों में छुपी अनुमति
Cox Media Group ने अपनी Active Listening तकनीक के इस्तेमाल का बचाव करते हुए कहा कि यूजर्स इस तकनीक को तब स्वीकृति देते हैं जब वे कोई ऐप डाउनलोड या अपडेट करते हैं। ऐप्स की शर्तों और नियमों में यह छुपी हुई होती है, जिसे ज्यादातर यूजर्स बिना पढ़े ही स्वीकार कर लेते हैं। इस तरह, यूजर्स जाने-अनजाने में इस ट्रैकिंग को अनुमति दे देते हैं। हालांकि, इस तरीके ने डेटा कलेक्शन में पारदर्शिता और नैतिकता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या करें यूजर्स?
अगर आपको लगता है कि आपका फोन आपकी बात सुन रहा है, तो सबसे पहले आप उन ऐप्स की अनुमति को चेक करें जिन्हें आपने अपने फोन पर दिया है। आप अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स को भी अपडेट कर सकते हैं और केवल उन्हीं ऐप्स को माइक्रोफोन एक्सेस दें जिनकी आपको सच में ज़रूरत है। साथ ही, ऐप्स की शर्तों और नियमों को ध्यान से पढ़ना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि आप जान सकें कि आप किस चीज़ के लिए सहमति दे रहे हैं।
इस कहानी से यह साफ हो गया है कि बड़ी टेक कंपनियां कैसे यूजर्स की बातचीत सुनने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रही हैं और यह कितनी आसानी से आपकी जानकारी के बिना हो सकता है। इस तरह की टेक्नोलॉजी के बारे में जागरूक रहना और अपनी डिजिटल प्राइवेसी की सुरक्षा करना आज के समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है।